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उफ़्फ़ ये मुसीबतें-2


उफ़्फ़ ये मुसीबतें-2

जंबो का suffer


Jumbo ka suffer



Marriage invitation 


"ये सूट रख दूं?" शफ़क़त ने अपना नया तरीन जोड़ा मेरी तरफ लहराते हुए दिखाया
मैंने मोबाइल में गेम खेलते हुए कहा "हां रख दो"
शफ़क़त-- "ये वाला?"
जंबो-- " हां रख दो"
शफ़क़त-- "और ये वाला?"
जंबो-- " हां भई रख दो"
अज़रा ने चहकते हुए पूछा " अप्पी क्या आप वहां लुंगी नृत्य करने वाली हैं? "
मैंने अज़रा बीबी को घूरते हुए पूछा --" ये क्या बकवास फरमाया आपने?"
शफ़क़त ने हाथ में अब्बू की लुंगी थामे गुस्से से चीखते हुए कहा --" मैं यहां किचन का काम बीच में छोड़ कर तुम्हारा बैग पैक कर रही हूं और तुम मोबाइल में घुसी पड़ी हो ।। देख भी नहीं रही की मै तुम्हे क्या दिखा रही हूं।।"
"खी खी खी खी".....यह अजरा थी जो अपनी हसीं को केमि्ट्री कि मोटी सी किताब के पीछे छुपाने की कोशिश कर रही थी
"ख़ैर अभी कोई पंगा नहीं ये सब सामान को एक दफा ज़रूर चेक कर लेना बाद में कोई नाटक नहीं सुनना मुझे.."


Sisters conversation 


शफ़क़त खफा खफा हो कर बोली!! मैंने अब  मोबाईल साइड रखने में भलाई समझी!
"ये रहा मेकअप का डब्बा संभाल के रखना इसमें चूड़ियां भी है,, पहन लेना और कोई भी सामान ना खोने पाए हर बार कुछ ना कुछ खो जाता है तुमसे".......अब शफ़क़त  हिदायती अंदाज़ में  बोली  और मै किसी फ़रमाँबरदार बच्चे की तरह हामी भर ली
"तुम जो देकर भेजोगी वो दान कर आयेगी

 जैसा नाम वैसा दिल ,, बड़ा।।।। पहाड़ जैसा बड़ा" अजरा ने ज्ञान बघारने वाली लैंग्वेज में बोला  मै चौंक गई इस दुष्ट को यह क्या सूझी, आग लगने का यह भला कोई टाइम है??

""क्या...?"" शफ़क़त लगभग चीख पड़ी--"मतलब तुमने वो सब मेरे महंगे सामान सब ऐसे ही बांट दिया वो मेरे बचाए पैसों के थे तुम्हारी तरह नहीं जो भुजिया नमकीन आइस क्रीम चॉकलेट खा जाने के बाद, उधार मांगती फीरे""
""अरे यह जहमत भी अप्पी कहा करती है; पूरे हक के साथ बटुआ खाली कर देती है"" अजरा की आग में घी वाली लाइन फ़िर हाज़िर थी आज तो मेरे घूरने का कोई असर नहीं था
शायद चाचा और अब्बू की मौजूदगी उसकी हिम्मत बढ़ा रही थी
""सुन लड़की ये जो किताब है ना इसी से कहीं कतल ना हो जाना"" मैंने बहोट जब्त से गुस्सा दिखाया
""ये क्या लगा रख्खा है अरे कोई अकेले थोड़े ना खाती हू तुम सब को भी देती हूं"" अब जंबो को गुस्सा आ ही गया कब से दोनों के ताने सुन रही थी जो की सौ फीसद सही थे
"तुम वादा करो इस बार कोई सामान इधर से उधर नहीं होगा"
"अप्पी....आपका आई लाइनर" अजरा ने लुकमा दिया
"हां वही।। इतना महंगा तुमने किसको दिया था??"
""खाला की ननद को .....हैं ना अप्पी""

"और वह काजल अप्पी" अपनी किताब में मग्न वो बदस्तूर मेरी शिकायत लगा रही थी
"वो तो चाची के पड़ोस की बच्ची को दिया था जिससे वो अपनी परी सी गुडिया को पापी गुड़िया बना रही थी,,  हाय मेरा काजल।। मै क्या साल भर की एक्सपायरी डेट वाले मेकअप इसलिए खरीद के लाती हूं कि तुम एक ही इस्तेमाल के बाद उन्हें दान करती फिरो??

इस बार मैं तुम्हारे सारे सामान की लिस्ट बना कर रखूंगी, याद रखना,," शफ़क़त तो बकायदा खौल ही गई
अजरा__"अप्पी चावल"
 "हां और चावल।

.. हैं..?ओह मै तो भूल ही गई इस जंबो की बच्ची के बवाल में मेरे चावल जल गए"" शफकत किचेन की तरफ बड़बड़ाते हुए दौड़ी तब मेरे सांस में सांस आई मैंने सोचा ज़रा इस आग लगाने की माचिस को सबक  सिखाऊं, लेकिन चालाक लड़की, गिलहरी सी फुर्ती दिखाते हुए फौरन कमरे से फुर्र..  ख़ैर इसको तो मै आकर ठीक करूंगी मैंने मन ही मन सोचा और मुस्कुरा कर मोबाईल दोबारा उठा लिया। मुझे लेने चाचू आए हुए थे अब्बू ओर दादी ऐन शादी के दिन जाना तय हुआ चूकी शादी में अभी 16 दिन थे सो चाचू आराम से आ गए,, सिर्फ मुझे ले जाने के लिए।।


Indian railway


Sabko jaldi hai, sabhi bhag rahe hai


मेरी और चाचा की फर्स्ट क्लास सीट नहीं बुक हो सकी, शादी का सीज़न था इसलिए शायद। स्लीपर में किसी तरह रिजर्वेशन हुआ तब अब्बू को सुकून हुआ लड़की साथ में हो तो ज़्यादा ही एहतियात बरतते हैं फिर चाहे वो मुझ जैसी खतरनाक बला ही क्यों ना हो, पता नहीं अब्बू को मेरे काबिलियत पर भरोसा क्यों नहीं वरना हम तो अच्छे अछो की ऐसी तेसी कर दे

अभी ट्रेन आने में वक़्त था अब्बू और चाचा जी की आदत से मजबूर हमे घर से जल्दी निकलना पड़ा मैंने दबी ज़बान में समझाया, भई ये हमारे यहां ट्रेन अक्सर लेट आती है लेकिन क्या मजाल जो बात सुनी जाए

अभी भी स्टेशन पर बैठ कर अपने समानो को देख रही हूं
भला हो दादी और अम्मी का जिन्होंने  ना जाने कितनी दुआए पढ़ कर मुझ पर दम किया दादी तो बस ही नहीं कर रही आख़िर चाचा को बोलना पड़ा
अम्मा बस भी करो ये मेरे साथ जा रही है बिदाई नहीं हो रही इसकी ।
दादी ने काफी कायदे से घूरा और इसके बाद 15 मिनट लिया अच्छा ही हुआ यहां पर मजीद बोर होने से बच गई ।

मैंने यू ही बेजार हो कर स्टेशन का जायज़ा लिया जितने पैसेंजर नहीं उससे ज़्यादा तो बन्दर थे यहां के बाहर के यात्री उनको बड़े दिलचस्पी से देख रहे थे वहीं लोकल पब्लिक को उनकी बदतमीजी नागवार लग रही थी।
सामने नया शादी शुदा जोड़ा दिखा और ये कही जा रहे थे।

कैसे पता?, अजी सामान की हालत बता देती है अब देखिए; जैसे सामान बैग वगैरह सलीके से चुने हो मुसाफिर का चेहरा खिला हुआ हो बालों में चमक आंखो में खुशी तो ये कहीं जा रहे है ,,अगर को सामान एकदम से ठूसा हुआ लगे बैग लूटे पिटे से हो और बाल किसी चिड़िया के घोस्ले को टक्कर दे, तो समझिए जनाब, वो वापसी पर है ।
ख़ैर नई शादी का असर साफ दिख रहा था दूल्हे साहब थोड़ी थोड़ी देर में कुछ ना कुछ खाने पीने का सामान ला रहे थे और बीवी बहुत शाइस्तगी से मना कर रही थी आवाज़ में बहुत नरमी थी कि मुझे लड़की की बातों की आवाज़ ही नहीं आ रही थी ,
उनके ज़रा फासले पर एक बूढ़ा कपल था जो कहीं से वापसी कर रहे थे चेहरे पर उम्र भर की थकन दिख रही थी दोनों चुपचाप बैठे कभी कभार बीवी कुछ पूछ लेती जिसपर हसबैंड हल्का सा रिएक्ट कर देते और फिर वही चुप्पी..


Monkeys 

 कुछ लड़के थे जिनके पैरो में ना जाने कौन सी ताकत आ गई थी जो स्टेशन पर लगातार चहलकदमी किए जा रहे थे और भी कई एक लोग थे अपने अपने सामान और अपनों के साथ बैठे बाते कर रहे थे मुस्कुरा रहे थे कुछ एक जगह शायद अनबन दिख रही थी कुछ आदम बेजार बैठे थे ऐसा लग रहा था जैसे ये कोई रेलवे स्टेशन ना हो कर मानव नुमाइश का मेला हो लगभग हर तरह के लोग हर तरह के अहसासात
छोटे बच्चों के इन सब से बेखबर बात बेबात खुशी से चहकते हुए चेहरे मुझे मेरे बचपन की याद दिला रही थी मुझे भी पहले सफ़र करना बहुत रोमांचक सा लगता था ...... ज़्यादा दिन तो नहीं बीते फिर भी ये सफ़र करना बहुत बोर करता है।।

लोगो का आना जाना प्लेटफॉर्म के कर्मचारियों की अफ़रा तफरी लगी हुई थी
सामने बुक स्टाल था हैरत है अभी भी वही अंकल बैठे है दुकान पर, मै मुस्कुराई,, याद आया कैसे मै दादी से ज़िद कर इनसे चंपक खरीद कर, बहुत बड़ी खरीददार फील करती थी।

मैंने देखा उनका स्टाल चारो तरफ मजबूत जालियों से महफूज़ था गौर किया तो हर तरह की किताब थी ए ग्रेड, बी ग्रेड, सी ग्रेड और सी ग्रेड अलग रैक पर सी ग्रेड और फिर से सी ग्रेड हद्द हो गई मैंने गुस्से से नज़रे हटा ली


Man and monkey


ये चाचू जी कहा गए अभी सोचा ही था कि एक भयानक चीख सुनाई थी आवाज़ में इतना डर था कि, चीखने वाले की आवाज़ दोहरी महसूस हो रही थी, ये तो नई दुल्हन चेहरे पर हवाइयां लिए हलक फाड़ रही थी, कहां तो आवाज़ भी नहीं सुनाई दे रही थी और कहां पूरा स्टेशन हिला डाला।।


Monkey 


सामने ही वजह थी मेरे चाचा जी आदत मुताबिक सिगरेट फूंक रहे थे,, अरे,,अरे,, भाई रुकिए! हमारे चाचा इतने खतरनाक नहीं के कोई बच्ची उनको देख हौलनाक चीख निकाले, बस उनके कंधे पर एक ढोलक जैसा खतरनाक हरकतें करने वाला बन्दर आ कर बैठ गया था,
मेरे चाचा को तो कोई असर ना हुआ ,बाकी के लोग वो नई नवेली दुल्हन और छोटे बच्चो ने ज़्यादा असर ले लिया, और तो और, मै भी डर गई ,सब खौफजदा थे सिवाय चाचा के ।
बन्दर बेचारा चाचा को डराने की नाकाम कोशिश करता रहा लेकिन बेकार ही रहा। चाचा पर कहा असर होने वाला था, कुछ देर खो खो कर के दांत निकाल कर आप ही खिसिया गया और कंधे से उतर गया आखिर उसकी भी रेपोटेशन खराब हो रही थी,, बन्दर टोली में ....कुछ लोग इस बहादुर आदमी को हैरत से देख रहे थे तो कुछ इनकी बेज़ारी पर दंग  थे ,वहां मौजूद बुज़ुर्ग तो हाल तक लेने आ गए।


Train


 मै तो अनजान सी बन गई ....."" टन टन टन यात्रीगण कृपया ध्यान दे,,," अहह!! कान कि बैंड बज गई, गाड़ी आने का अनाउसमेंट हो गया अच्छा ही हुआ सबका ध्यान बट गया मैंने अपना सूटकेस और हंड बैग संभाला चाचा का एक छोटा ऑफीस बैग था जो उनके हाथ में ही था सब चेक किया, आल डन!!


Ready for train


"जम्बो s,,,s,,,s,,,s" चाचा जी ने दूर से ही मुझे पुकारा सब ने चौंक कर मुझे देखा मै बिला वजह ही शर्मिंदा हो गई
नाम ही ऐसा है

खुदा के लिए चाचा मुझे इस नाम से ना बुलाए लेकिन चाचा हमारे, कम बोलने वाले इंसान, कोई असर नहीं, वो बड़े बैग को उठाने लगे
 मैं खौल कर रह गई और अपना बैग संभाला
थोड़ी भाग दौड़ के बाद हमारी बोगी मिल गई

चलो जी भीड़ बहोत ठीक ठाक सी थी  हमारी बर्थ आमने सामने थी चाचा की खास हिदायत थी खिड़की के पास ही बैठना, कोई आए ,तो बैठा लेना ,लेडीज़ को प्रायरटी देना और खबरदार खिडकी किसी हाल में नहीं छोड़ना

सामान वगैरह सेट कर मै उस पावन खिडकी से ज़रा दूर ही बैठी, इसकी दो वजहें थीं पहली यह के हमारे यहां पान बहुत खाया जाता है जिसकी गवाह खिडकी पर बनी पेंटिग से हो रहा था दूसरा ये की मै इस पेंटिंग के रंग से पवित्र नहीं होना चाहती थी
चलती ट्रेन में इस बात का खतरा बहुत होता है कि कलाकार लाईव कलाकारी करे और हमारे ऊपर छीटें ना पड़ जाए ,सो ज़रा होशियारी अच्छी बात है
थोड़े समय में गाड़ी हॉर्न मारती धक्के से स्टार्ट हो गई

शुक्र है जितनी जल्दी सफ़र शुरू होगा उतनी जल्दी ख़तम बस कहीं ब्रेक ना फेल हो, ना कहीं क्रासिंग आए  "आग का दरिया" नोविल खोल ली अपने चश्मे को आंखो पर चढ़ा लिया दुखी मत होइए मेरी नज़रे सलामत है, ये बस धूल धूप का चश्मा है जिसकी फोटो मै आपको दिखा दुंगी वैसे ये चश्मा अब्बू के जमाने का था जिसे मैने कैसे हथियाया था, मै ही जानती हूं

मुझे सफ़र के दौरान अपना मोबाईल निकलना पसंद नहीं मुझे ये अन्हाईजीनिक लगता है, सनक कह सकते है लेकिन आदत से मजबूर हू सफ़र में बहुत ख्याल रखती हू ना,, ना ज़्यादा हाथ इधर उधर टच करना और ट्रैवल के बाद मै मिलती सबसे बाद में हू पहले बाथरूम का रुख करती हूं

नॉविल का पहला पार्ट ख़तम होते होते "चिलबिला" कब पहुंच गई पता ही नहीं चला ध्यान दिया तो कुछ नए यात्री भी आ गए थे, तरह तरह कि आवाज़ और वही ट्रेन की अपनी स्मैल या बदबू ही कहे तो ज़्यादा सही होगा, परफ्यूम- सिग्रेट की मिली जुली महक तबीयत कों आनंदित करने को काफी थी😐

 सामने ऊपर की बर्थ पर दो आदमी थे शायद बाप बेटे थे और मेरे सीट पर बहुत ही खूबसरत खातून बैठी थी उनके हर नक्श से सलीका झलक रहा था, लाल रंग की सैंडल थी ,जो उनके गोरे पैर में लाल नेलपेंट के साथ जच रही थी, मैं कम ही प्रभावित होती हू, यहां मै उनकी सलीके की कायल हो गई मेरे उपर की बर्थ से मेरे सर के पास एक सफेद रंग की अलबेली बेल्ट लहरा रही थी जो बार बार मुझे परेशान कर रही थी मैंने उस लड़के को दो एक बार बेल्ट हटाने को कहा अब पता नहीं किस तरह से उसने उपर किया के ट्रेन चलते साथ वो फिर मेरे सिर के पीछे सफेद साप सा लटक गया, ऐसा लगा जैसे कोई पोक कर रहा हो, कोफ्त तो हुई लेकिन सब्र करना पड़ा, साथ चाचू ना होते तो अभी उसके कान से इयरफोन निकाल के अच्छे से "समझा" देती, मैंने मजबूरन ध्यान हटाना ठीक समझा।


Marriage invitation 

एक मिया बीवी भी थे मिया बड़े रौब दार लग रहे थे उपर से चेहरे पर बड़ी सी मूछ बीच बीच में बीवी को पता नहीं किस बात पर हड़का रहे थे और वो बेचारी अपनी सफाई में कुछ तो कह रही थी जो मै चलती ट्रेन की आवाज़ से सुन नहीं पा रही थी

इन मर्दों की अक्ल कहा चली जाती है मतलब बीवी को बाहर डटना बहादुरी समझते हैं लेकिन भूल जाते है के इसमें उनकी ही बेइज्जती है  ख़ैर सामने बाप बेटे में भी कभी कभी नोक झोक हो रही थी समझ सकती हू दादी और अब्बू की कई प्यारी लड़ाइयां मैंने देखी है ।

बात कुछ नहीं होगी बस ऐवइं ही लड़ना है ।अरे ये क्या?? मेरी आंखे खुली की खुली रह गई, एक अंकल टाइप साहब ज़बरद्ती का लड़कपने का लबादा ओढ़े थे अभी अभी चाचा के बगल आकर बैठे शायद अभी तक बोगी का मुआयना कर रहे थे जभी नहीं दिखे थे

टाइट शर्ट और जगह जगह से फटी हुई जीन्स जिसमें से उनके घुटने बाहर आने की बेताबी के साथ झांक रहे थे, इस तरह का फैशन मुझे गुस्सा दिलाने को काफी था ,मैंने बाहर देखना शुरू कर दिया मै नहीं चाहती कि सामाजिक समस्या को लेकर मै यहां "लक्ष्मीबाई" बनूं

अरे!,, क्या हो गया..!! अचानक अपनी फुल स्पीड में चलती ट्रेन की रफ्तार कम होने लगी ,ज़रा कोशिश की तो पता चला कोई छोटा हाल्ट है यह! अब यहां ट्रेन नहीं रुकती तो क्या हुआ...

अजी जनता समझदार है और इसी समझदारी का परिचय देते चैन पुलिंग हो गई
चलो जी छुट्टी खिडकी के बाहर कुछ लोग उतर कर चलते  कम भागते ज़्यादा दिखे, कमाल है!! कुछ टाइम तो अब लगना ही था, हमारी बोगी ज़हा रुकी थी सामने ही उसके आंवले का बाग मालूम होता था बाग के चारो तरफ तार का बांध था, जिसका भी बाग था काफी ज़िम्मेदार इंसान मालूम होता है सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया था ऐसे ही सब ज़रा ज़रा सी बात का ख्याल करे तो आधी प्रोब्लम तो ऐसे ही सोल्व हो जाए

बाग के अंदर बाहर बहुत सारी आंवले कि पत्तियां गिरी हुई थी कुछ सूखी कुछ हरी और कुछ छोटी बड़ी टहनियां, मानो पत्तियों की चादर बिछी है जब हवा चलती तो बाग के पेड़ों की पत्तियों से अलग ही आवाज़ आ रही थी जैसे झुन झून या छम छन आसमान में छाई बदली और चलती हवा इस माहौल मे दिल और आंखो को सुकून पहुंचा रही थी कुछ कव्वे भी थे लेकिन सच कहूं तो वो भी इस मंज़र का ज़रूरी हिस्सा ही लग रहे थे

एक दफा तो जी चाहा के यूं गिरी पत्तियों पर चल  के कैसा लगता है लेकिन मै बस सोच ही सकती थी क्योंकि ट्रेन ने हॉर्न दे दिया था
 चाचा अपने सिगरेट के धुएं  से पूरी बोगी को गुंजायमान कर रहे थे मै भी चुपचाप बैठी कभी अंदर कभी बाहर के नजारो पर नज़रे डाल देती तभी बाहर देखने में मग्न मेरे चाचा पता नहीं किस सोच में डूबे थे के अपनी सिगरेट को उन्होंने अपने बगल बैठे उस फटी जीन्स पहने बेचारे आदमी के मस्कुलर थाई पर ऐश ट्रे समझ रगड़ दिया
"अररररे, अंकल।" काफी गुस्से और दर्द से आवाज़ आई hahahhaahhahaha क्या मस्त तड़का लगाया है चाचा ने इन साहब के ग्लैमर पर ,अच्छा हुआ ,और करो अंग प्रदर्शन!! हिजाब की वजह से मै अपने दांत निकाल सकती थी, चाचा ने एक नजर उस इंसान को देखा और अपनी भारी आवाज़ में एक सोरी बोल दिया

हमारे प्यारे चाचा बहुत शांत ,कम बोलने वाले और अमन पसंद है लेकिन पर्सनैलिटी थोड़ी अच्छी खासी है जभी कई दफा सामने वाले धोका खा जाते है अभी भी वही हुआ
मै समझ सकती हूं जीन्स वाले भाई साहब मन ही मन में चाचा को पीट चुके होंगे लेकिन सामने बोलने कि हिम्मत नहीं इस घटना के  सिगरेट पीने मै कमी तो नहीं आई , पर हां ,उसको बुझाने का काम खिड़की पर किया जाने लगा

वाह चाचा जी,, कुछ भी हो, मगर सिगरेट ना छूटे। प्रतापगढ में गाड़ी पहुंच चुकी है। ज़रदस्त भीड़ थी अगले दिन कोई एग्जाम था स्टूडेंट्स का हुजूम था सारे अभ्यार्थी जैसे इसी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे गाड़ी रुकते ही भीड़ का रेला हर बोगी पर धावा बोलने लगा ,तरह तरह कि आवाजे आने  लगी . ए भैय्या मेरा सामान रह गया;


Rush in trains


Bheed


अरे बच्चा है भाई साहब बच्चा ज़रा देख के .... अरे बोगी का दरवाज़ा तो खोलो!! अलग अलग तरह की तेज आवाज लास्ट पुकार पर चौंकना लाज़िम था मतलब दरवाज़ा ही बन्द कर लिया

लगता है उस बोगी के यात्रियों के चाचा विधायक है जो दरवाज़ा बंद कर लिया है जैसे के पूरी बोगी उन्ही की है हद हो गई है ......

इसी सब आपाधापी में हमारी बोगी में भी लोग आना शुरू हो गए भीड़ देख मैंने पानी पी कर बोतल ख़तम कर दी के तबीयत बहली रहे। कहने की जरूरत नहीं कि 90 फीसद भारतीयों की तरह मुझे भी कुछ चीजो का फोबिया है जिनमे से एक है भीड़ फोबिया इसका साइंटिफिक नाम भी बता सकती हूं लेकिन कभी कभी आसान लफ्जो का इस्तेमाल भी कर लेना चाहिए और सच कहूं तो इतनी रश देख मै असली नाम भूल गई हूं। स्टूडेंट्स का आना ख़तम ही नहीं हो रहा था क्या स्लीपर, क्या जनरल, सब बराबर!!सबको बस ट्रेन में चढ़ने से मतलब था मुझे फोबिया की वजह से पसीने आने लगे हाथ में खाली बोतल टेंशन रिलीज़ बाल बन गई सबसे मुश्किल तब हुई जब दो नौजवान ट्रेन के दरवाज़े से ही तमाम बर्थ के उपर से ही आवागमन शुरू कर दी बर्थ इतनी पास तो नहीं थे मगर इन लड़को ने इतनी आसानी से फटाफट एक के बाद एक बर्थ बढ़ते हुए बैठने की जगह कैसे ढूंढ़ ली, अगर स्पाइडर मैन होता तो ट्रेन की खिडकी से कूद कर आत्महत्या कर लेता इनको गिरने का भी डर नहीं था या शायद नीचे भीड़ की ज़्यादती ने इनको सिक्योरिटी दी थी के अगर गिरे भी तो मुंडी तो दूसरे की जाएगी इनको चोट आने से रही!

Jaha bhi jagah mile


सच बताऊं तो भीड़ की वजह से उस उजले दिन में अच्छा खासा अंधेरा हो गया था मै घबराती गहरी सांस लेती अपने रब का नाम ले रही थी हाथ में पकड़ी बोतल को ना जाने कितनी बार मैंने क्रश किया के वो पूरी तरह प्लास्टिक की बॉल बन गई।
इस दो मिनट में पूरी बोगी जिन्नी का चिराग हो गई सारी भीड़ एडजस्ट हो गई ,चाहे जैसे,लेकिन सब अट गये; भूसे की तरह। कसाव की वजह से सारे लोग अपनी जगह से हिल नहीं सकते थे फिर भी रेलवे के वेंडर बहुत आसानी से अपनी जानी पहचानी आवाज़ लगाते आ जा रहे थे, ये इनकी कला कहूं, आदत या मजबूरी बहरहाल .... चाचा!! अरे चाचा कहा है ,ज़रा देखा तो एकदम सुकड़े से खिडकी में थे एक हाथ किसी तरह फ़्री था।

एक हाथ उपर नीचे और मुंह से धुआ अजीब रोबोटिक क्रिया मालूम होती थी बोगी फुल थी पैर रखने की जगह नहीं थी मेरे  सामने एक सज्जन खड़े थे शक्ल तो दिखी नहीं ,हां शर्ट के बटनों से आज़ाद होने को बेताब उनकी तोंद ऐन मेरे चेहरे के सामने थी
गाड़ी अपने पूरी स्पीड में चली जा रही थी लगता था अब इलाहाबाद में ही रुकेगी मै खुद को बहलाती बाहर देखने लगी ताकि मुझे और परेशानी ना महसूस हो इसी दिक्कत में सिर पर सवार उस नॉनसेंस लड़के की सफेद बेल्ट और उसपर जड़ा थोर मॉडल बक्कल मेरे सिर से टकरा रहा था काफी इरीटेशन हो रही थी अब तो मै उसे कुछ कह भी नहीं सकती थी ,कहती तो उसे कौन सा सुनाई देना था वो तो पता नहीं कोन सी बूटी फूंक कर सोया था जो इतना सब होने के बाद भी उस पर असर नहीं हो रहा था ।

चलती ट्रेन अगले स्टेशन पर रुकी, इनार्शिया लॉ के अनुसार मै आगे हुई; मै क्या सभी को धक्का लगा लेकिन मेरी किस्मत जितनी तेज़ी से मै आगे गई सामने फैटी तोंद से चेहरा टकराया और मेरा सर दुगुनी तेज़ी से पीछे ,,उफ्फ......सिर के पिछले हिस्से पर थोर के बक्कल ने कमाल कर दिया,मै दर्द से चीख ही पड़ी आंखो में आंसू आ गए मै तड़प के रह गई चांद तारे नज़र आ गए, हद तो तब हुई जब दो नए ग्रह दिखे जिस पर जीवन के संकेत थे पर हाय!!!  अफसोस दर्द इतना गहरा नहीं था के मै वहां के जीवों से बात कर पाती और इतना कम भी नहीं था के मै रिएक्ट ना करू, मैने बस सर को नहीं-नहीं के अंदाज़ में हिला कर दर्द को कम करना चाहा, कुछ देर बाद सामने देखा तो चाचा मुझे ही देख रहे थे अब इशारे से पूछा क्या हुआ मैंने नहीं में सर हिला दिया आंखो मै अभी भी आंसू थे,  इस डिब्बे में बस दो लोग शांत और खुश लग रहे थे एक मेरे चाच्चू दूसरी अपने हसबैंड से डांट खाती मोहतरमा क्योंकि साहब बहादुर पानी लेने गए और फिर भीड़ ने उन समेत उनके रौब का बोरिया बिस्तर समेट दोबारा डिब्बे में आने ही नहीं दिया बेचारे जो भी हो वो औरत इस माहौल में भी सुकून से बैठी थी उनके माथे का कुमकुम पसीने से बह कर नाक पर आ टिकी, पर वो शायद कुछ ज़्यादा ही रिलैक्स हो गई थी जभी उनको इस बात का अहसास नहीं हुआ। वाह!मुझे अलग उलझन होने लगी मैंने अपनी नाक दो बार रगड़ ली अब ऐसा थोड़े ना होता है के मेरे रगड़ने से उनकी नाक का कुमकुम  साफ हो

अगले स्टेशन पर लोगो का रश कम हुआ अब कुछ सांस बहाल हुई इलाहाबाद और उससे आगे जाने वाले यात्री बचे थे ,कुछ एक और लोग थे शायद ये भीड़ मुझे तंग करने को ही आई थी सारी प्रोब्लम मेरे साथ ही हुई और ये सर उफ्फ मैंने छुआ तो सर पर अच्छा खासा गोमड़ निकल आया था ये क्या हलकी सिसकी सुनाई दी साइड में देखा तो बेचारी मुझे अपने गुणों से कायल करने वाली खातून अपने पैरो को सहला रही थी खूबसूरत पैर धूल से अट गया था पैर की उंगलियां कई भारी बूट शूज से कुचले जाने का किस्सा बयान कर रही थी, उनकी सैंडल टूट चुकी थी सलीके से बनाया जूड़ा जगह जगह से बिखर गया था मुझे तरस आया के मै अकेली नहीं ये बेचारी भी इस सफर की भुक्तभोगी रही, ख़ैर मैंने ज़रा सा मुड़कर सिर उठाया और इस थोर बेल्ट के मालिक को देखने की कोशश की अब वो मुस्कुरा कर किसी से बात कर रहा था आंखे अभी भी बन्द थी उसकी तसल्ली देख मै समझ गई के यह इलाहाबाद में  नहीं उतरने वाला और लोग कम होने के बाद ये भी थोड़ा रिलैक्स हुआ है तो मौका अच्छा है मैंने  बैठे बैठे प्लान बना लिया

चाचा वॉशरूम गए थे मैंने इत्मीनान से बैग खोला पहले तो ग्लू निकाल कर पास बैठी औरत को दिया ताकि टूटी सैंडल ठीक हो और उन्हें और परेशानी ना हो उन्होंने शुक्रिया अदा किया मैं मुस्कुरा कर रह गई फिर चाकू बाहर निकाला,,, अरे नटराज का चाकू और रेड कलर की पेन निकाली DON'T WORRY,,
मेरे बैग में हाथी के बच्चे के आलावा सभी सामान होते है

हां तो , सबसे पहले उस अतरंगी बेल्ट को उसके बक्कल से आज़ाद किया और खिडकी से बाहर फेंक दिया फिर जितना हिस्सा बेल्ट का नीचे था उस पर एक अच्छा सा मैसेज लिख दिया _""थोर की हरकत से गुस्सा होके थनोस ने उसे इस स्टेशन पर चुटकी बजा गायब कर दिया,, उसको खोजने की कोशिश बेकार है""  अब शायद यह इंसान सफ़र के अदब सीख जाए, के किसी दूसरे मुसाफिर को बिला बात तकलीफ ना होने पाए शायद बेल्ट को उसके मालिक के बर्थ में अच्छे से सेट कर दिया कम से कम मेरे स्टेशन उतरने तक तो ये नीचे ना आए और चाचा को मेरी करतूत का पता ना चले , बाकियों को पता चलने से मुझे कोई दिक्कत नहीं।


Views

 रेलगाड़ी अपने मुकाम पर पहुंच गई प्लेटफार्म पर लगते लगते उसने काफी टाइम ले लिया चच्चू ने मुझे रेडी होने का इशारा किया मैंने अपना बैग संभाला दूसरे हाथ से लगभग कबाड़ हो चुकी नविल थमी और बाहर निकल गई
हमे लेने रस्टी (रुस्तम ) चचा जाद भाई आया था।। 22 साल का नौजवान मुझे देख छोटे बच्चे की तरह खुश हो गया ।
"आदाब, अप्पी कैसे हैं?"

"मै ठीक तुम बताओ, मजदूर से लग रहे हो, लगता है बहन की शादी अच्छे से निभा रहे हो"
मेरे छेड़ने पर वो मुस्कुरा दिया
"आप आ गई अब मेरी जिम्मेदार आधी"
"ओए मैं मेहमान हूं "

"hahahhaah,, ओके आई अम् जोकिंग""हमारी नोक झोंक सुन चच्चू भी बिना मुस्कुराए ना रह सके,  कार का माहौल पुरसुकून था सर में हल्का दर्द अभी भी था
बस अब ये शादी कुछ रिवायती झगड़ों वाली ही हो क्युकी खालिस भारतीय परिवार पर बिना बात बहस, मुंह फुलाए बिना, शादी होना ख्वाब ही है रस्मो की उतनी इंपॉर्टेंस नहीं जितना गुस्सा होना जरूरी है इंसान एक बार को बारात जाना भूल सकता है बारात का स्वागत करना भूल सकता है लेकिन ताने मारना और मुंह फूलना कभी नहीं भूलता  मैंने काश वाले अंदाज़ में सोचा लेकिन मेरी किस्मत।। इस शादी में 10 शादियों के बराबर कांड होने थे, जिसकी गवाह मुझे ना चाहते हुए भी बनना था
साथ बने रहिए वो भी बताऊंगी पहले गाव पहुंच जाऊं


Ceremony


Ceremony 

तब तक,,

Fun doctor with fun dose
अगर आप आगेे आनेे वाली कहााँनियो की नोटिफिकेशन चाहते है तो ईमेल subsription को जरूर करे, इस से आपको new upload की जानकारी मिल सकेगी,धन्यवाद ।

टाटा एंड टेक केयर 😊

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Comments

  1. Wow very nice 👍👍
    Khi khi khi khi (fav part) 🤭🤭🤭
    Awesome whole story

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    1. Thanx dear, for your support and love.
      Regards team fun Zakheera

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  2. Bahut achcha likha hai aapne (http://bemotivatedhindi.blogspot.com/2020/05/vo-lamha.html?m=1) yeh mene bhi kuch likha shayad aapko pasand aae 😁

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    1. Thanx dear, congratulations for your post,
      Regards team FunZakheera

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    2. Its glad to me 😉...keep it up

      Allah aapko aur achha likhne ki hidayat de 🤲

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उफ़्फ़ ये मुसीबतें-1

उफ्फ ये मुसीबतें। ये कप किसने तोड़ा? किसने तोड़ा कप? Broken cup हम सब बहोत आम है बेहद आम दरअसल कहा जाए तो हम आम जनता है कभी कभी तो आम खाने के भी लाले पड़ जाते हैं अरे बात बजट की आ जाती है और कभी कभी बिन बुलाए मेहमान भी आ जाते हैं जिसके चलते अपने हिस्से के आम कुर्बान करना पड़ता है और इस कुर्बानी में मुझे जबरदस्ती शामिल किया जाता है  अफसोस । Happy family हम मध्यर्गीय जीवों का जीवन बड़ा ही सरल होता है जितना सरल होता है उतना ही कठिन भी होता है इस बात से काफी लोग रिलेट कर सकते हैं क्योंकि हमारे इंडिया में नौजवानों की और बेरोजगारों की संख्या सबसे ज्यादा है वैसे ही मध्यमवर्गीय परिवार भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं इस प्रकार के धर्मसंकट से हम दो चार होते रहते हैं और इसी compromises के साथ जीना पड़ता है लेकिन हम तो ठहरे जंबो अरे हमने तो दो बार UPSC प्री क्वालीफाई किया है।हम क्यों करने लगे कॉम्प्रोमाइज हम तो अब्बू की लात खा कर ही मानते हैं। लेकिन साथ ही हमारा अपने छोटो पर भी बड़ा रोब है इज्जत की गारंटी तो हम नहीं लेते हैं लेकिन डर बहुत है हमारा छोटे बच्चों की चॉकलेट

उफ़्फ़ ये मुसीबतें-5

उफ्फ मेरे खुदा!!🥵 कितनी तेज धूप थी आज तो!☀️ मै जो अभी अतिया के साथ बाज़ार से आई, आते साथ आंगन में बैठी चाची के पास पहुंच गई और उनकी ही चारपाई पर अपना हिजाब और बैग रख धप से बैठ गई 😩 शाम का वक्त था, कुछ नए चेहरे भी दिख रहे थे, शायद नए मेहमान आ गए थे, सारी औरतें आंगन में इकट्ठा थी, सब शौक से मेरे पास आ बैठी क्युकी मैं ज़किया की गहनों की शॉपिंग करके वापस आई थी। चाची की भाभी जो ज़रा दूर थी चारपाई से वो भी अपनी कुर्सी कुछ ज्यादा ही मेरे पास सटा कर बैठ गईं, शुक्र है 😌कि गोद में नहीं बैठी मैंने उनकी फुर्ती देखी और मन मन ही मन में सोचा🤔😉 बात गहने की थी तो ख्वातीनों का दिलचस्पी लेना नॉर्मल बात थी ,एक-एक करके सभी के हाथों में गहने जांचे जाने लगे और सब अपने-अपने अंदाज में गहनों का पोस्टमार्टम करने लगी एक हाथ फिर दूसरा हाथ इस तरह गहने ,आखिर में चाची के पास आ जाते और वह वापस मुझे थमा देती है जिसे मैं अपने बैग में रख ले रही थी सभी बहुत ही मोहब्बत और चाव के साथ गहने देख रही थी😀 ।चच्ची की भाभी(रौशन आंटी) अलबत्ता नाक भौं चढ़ा रही थी🤨 जो हाथों के साथ आंखों से भी गहनों को तौल रही थी उनके हाथों क

उफ़्फ़ ये मुसीबतें-3

घराना शादी का "आहा आ गई मेरी बिटिया😃🤗।।।" चाची ने देखते ही अपनी बाहें मेरी तरफ फैला दी और मैं किसी नखरीली हीरोइन की तरह उनसे कतरा कर उनसे दूर हो गई और उनके हाथ हवा में ही लहरा कर रह गए "ऐ भला, ये क्या हरकत है ?😕"चाची ने मुझे हैरानी से देखते हुए कहा  "चाची बहुत लंबी कहानी है अभी बस इतना समझिए मै धूल पसीने से सराबोर हू पहले नहा लूं " "वाह री लड़की🤣" इस दफा चाची हंस पड़ी " वैसे ,हमारी बन्नो कहा है?😏" मैंने जाते हुऐ मुड़ कर पूछा  "हां! पहले उससे मिल लेना जब से सुना है तुम आ रही हो कितनी दफा तुम्हारा पूछ चुकी है" जी, उसकी ही तो खबर लेनी है, यही तो मौका है मैंने मुस्कुरा कर सोचा:::😉 Marriage party ज़बरदस्त रिवायती शादी का माहौल लग रहा था अमूमन शहरों में ऐसा तो अब शायद ही देखने को मिले सारे में साफ सफाई रंग रोगन का काम दिख रहा था जो लगभग निपट चुका था एक तरफ तकिया बिस्तर चांदनी का ढेर तो दूसरी ओर झालर वाली लाइट का गट्ठर रखा था ,गेहूं चावल की बोरिया भी लाइन से लगी थी कुछ औरतें चावल साफ भी कर रही थी कुछ बच्चियां मेहंदी के पत्ते पी